दरिया सी ज़िन्दगी पे सदके हज़ार जानें ,
मुझको नहीं गँवारा साहिल की मौत मरना ||
Thursday, January 5, 2012
तू जैसा है
तू जैसा है वैसा ही चाहूँ तुझे ... जितना है उतना ही माँगूं तुझे बिना सजाये बिन सवारे.. तुझमे यूँ ही दिख जाते है जिंदा से सभी नज़ारे..||
जुल्फों में रात ठहरती है आँखों में दरिया मिलते है पलकों के उठने गिरने से कुछ दूर कहीं गुल खिलते है..|
बैठा रहता है सतरंगी(इन्द्रधनुष ) होठों पे इक घूंघट ओड़े, मासूम अदा से जिसने होंगे ना जाने कितने दिल तोड़े . तुम शरमाकर मुस्का दो तो मौसम भी रंग बदलते है होठों पे जाने कितने ही सूरज आ आ कर ढलते है...||
हर एक अदा बादल को भी शर्मिंदा सा कर देती है बारिश के पानी से ज्यादा वो नूर यहाँ भर देती है ..| चेहरे पे गिरती रहती वो ओस की ठंडी नरम बर्फ.. जो सर्द हवा के झोंके से दिल को ठंडा कर देती है|
गर्दन के नीचे का तिल चंदा को पागल कर देता है वो बालों को ऊपर करना दिल को पत्थर कर देता है...|
तो फिर क्यूँ तुम्हे सवारूँ मैं दुनिया के फीके रंगों से..?? क्यों बाँधूं तुमको बाकी लोगो के जीने के ढंगों से... एक परी,महक, एहसास हो तुम आँखों पे रखे सपनो सा तुमसे मिलकर लगता है कि तुम में कुछ तो है अपनों सा...
क्या खुदा क्या किस्मत ,और क्या हाथों की ये रेखाएं.. हमको तुमको मिल जाना है ये राज़ इन्हें क्यूँ समझाएं...
माना कि हम दो, दो दिल है और अलग अलग अपनी धड़कन पर उनका जितना भी रिश्ता , बस उतना ही माँगू तुझे.. तू जैसा है ,जितना है उतना ही चाहूं तुझे. उतना ही पूजूँ तुझे, उतना ही मांगूं तुझे ..
No comments:
Post a Comment