Friday, July 15, 2011

आखिर कब तक ..???

आखिर कब तक ..???
आखिर कब तक सहेंगे ये घुटन,ये दर्द
रिसने देंगे इसे नसों में ,
बहने देंगे दिलों में खून के साथ-साथ..??


             

कब तक रंगने देंगे दीवारों को सुर्ख खून से.??
कब तक मुँह फेरेंगे उन घावों से
उन चोटों से, जो बेसबब ही अमानत सी बन गयी है हमारी...??
कब तक सड़ने देंगे सड़कों को ,गलियों को
उन बेजुबान मंज़रों से
जिनमे दम तोड़ता है
हमारा जज्बा
हमारा सब्र,.....

कब तक मरहम लगायेंगे दुखते नंगे घावों पर ??
कब तक लाशों की बिसात पर एक महफूज़ सुबह की झूठी नींव रखेंगे ..??
कब तक अपनी लाचारी का बहाना देकर फुसलायेंगे उन बेज़ार आँखों को
जिन्होंने अभी अभी सीखा है
एक झटके में बेसहारा  होना ..??
जिसने अभी अभी समझौता किया है अपने जीने की हसरत से ...
कब तक रंजिशों और तौहीन की आग में जलने देंगे इंसानियत को
एक आम जिंदगी को...???
कब तक करेंगे सौदे जिंदगी के
अपनी बेबसी के बदले ......???
आखिर कब तक....???

बदलना होगा ,मजबूत करना होगा
खुद को ,हौसलों को,
तोड़ने होंगे सब रिवाज़ ,
बदलनी होंगी आदतें,
चीखों को तरानों की तरह सुनने की
दस्तूर बदलना होगा मातम मनाने का..
जिन्दा रखनी होगी हर टीस, हर खलिश
जो दफ़न हो जाती है वक़्त के साथ ..
रोकना होगा दीवारों और दिल पे लगे खून के धब्बों को
धुंधला होने से ,अपना रंग खोने से....
बांधनी होगी हर डोर ,हर एक कड़ी ,
बनना होगा एक आवाज़ एक साज़...
इस बार यही पयाम ,यही इंतकाम .....

2 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ...

    यहाँ भी पधारिये..
    Life is Just a LIfe

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  2. dhanyawaad neeraj ji....
    apka diya hua blog link khul nhi rha

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