Tuesday, July 24, 2012

कागज़ पे कुछ लिखकर 
मिटा कर देखा है कभी....??
कागज़ तो फिर से कोरा हो जाता है ...
मगर उसकी उधड़ी हुई सतह को याद रह जाते हैं 
लफ़्ज़ों के साथ गुज़रे वो पल...
जो कितना भी वक्त बीते ...,उतर नहीं पाते कभी 
कागज के नर्म ज़हन से ....||

कुछ ऐसा ही होता है ....
दूरियों से जुड़े दो दिलों का रिश्ता ....
वो (..खुदा ) लाख मिटाता रहे 
एक को दूजे की किस्मत से..जिंदगी से...
मगर दिल के नर्म कागज से,
न एहसास मिटते हैं कभी ...,न ही जज़्बात उतरते ......| 

कुछ रिश्ते खुदा भी शायद इसलिए ही बनाता है 
कि कुछ तो हो काश,, जिसकी इबादत वो भी कर सके ...,
जिसके सजदे वो झुक सके ..||

आओ आज ऐसे ही, अपने इक रिश्ते को जिया जाए...||

                                           -अनजान पथिक  

Saturday, July 21, 2012

एक शहर मोहब्बत का


           
एक रात गुज़रती है ,...रोज 
फलक की कच्ची पगडंडियों से होते हुए ;  
हाथ में चाँद का चराग(चिराग) लिए .... ,
पैरों में सन्नाटे की पायल पहने ...
अँधेरे के जंगलों से निकलकर,....
दूर ,बहुत दूर ..... जाती है वो   
इक आवारा सुबह से मिलने...
किसी अनसुने ,अनदेखे से शहर में...||  

एक शहर जहाँ ,मोहब्बत का सूरज कभी ढलता नहीं...
एक शहर जहाँ ,खेतों में इश्क की फसल उगा करती है ...
जहाँ नीला सा ये आसमां..... पिघलकर घुल जाता है ,
शाम को,,,,, धरती की बांहों में ...
जहाँ डालियों पे, यादों के फूल महकते रहते है ...|
बीते लम्हें,  .... तस्वीर बनकर चढ़े रहते है ,
मंज़र की दीवारों पर...,उतरते नहीं कभी ... |
एक शहर जहाँ वो नदी भी बहती है ..
जो शीरी के लिए .....बनायीं थी ..इक फरहाद ने ..कभी 

एक शहर ,जहाँ  वक्त अपाहिज है ... चल नहीं पाता..
इसलिए यहाँ ....दिन गुज़रते नहीं ,रातें  होती नहीं ...
बस उसी एक लम्हे में जिंदा रहते है  सब लोग 
जिस एक लम्हें में उन्हें मोहब्बत हुई .....,
वो मोहब्बत ,जो सदियों से अब तक बदली नहीं ...|

कहते हैं ,ये वो शहर है ...
जो किसी हीर ने बसाया था किसी रांझे के लिए ...
ताकि मोहब्बत के सारे रिश्ते जिंदा रह सकें....||
 आज ख़्वाबों  में  निकलूंगा मैं ....... तुमसे मिलने के लिए ,

इसी एक शहर में ...इस यकीन पर  ..
कि कुछ भी हो जाये, कभी न कभी 
तुम मुझसे मिलने  जरुर आओगे ....
**बोलो आओगे न..???? **
                                           -अनजान पथिक 


Saturday, July 7, 2012

मुक्तक

अदाओं की ये दौलतें , पास ही रख लीजिए 
नुमाइश के बाजारों में दिल ,यूं ही नहीं बेचे जाते .............

यादें,लम्हें,रिश्तें ,खुशियाँ ये सब संजोनी चाहिए 
महबूबा-ए-वक्त के ये खत , यूं ही नहीं फेंके जाते ,,,

हो खुद का हुस्न देखना , तो मेरी नज़र रख लीजिये 
इन आइनों के दलालों से सच ,यूँ ही नहीं देखे जाते ..

खुदा महज़ कहना नहीं ,मानना भी पड़ता है 
इश्क के मज़हब में ये सिर ,यूँ ही नहीं टेके जाते ...

मेरे इकरार को मजबूरियाँ समझे जो मेरा यार गर 
कह दो उसे कि चाँद पर पत्थर नहीं फेंके जाते ...

दिल से जुड़ने वालों से बस इक हुनर सीखा करो 
नज़रें समझी जाती है ,चेहरे नहीं देखे जाते ....

ये हिन्दू मुस्लिम सिख का चर्चा अब ज़रा ठंडा करो
खुद्गर्ज़ियों की आँच पर  ,मसले (समस्याएं )नहीं सेंके जाते ...


Monday, July 2, 2012


इस चेहरे के पौधे को 
सींचते रहना  मुस्कानों के पानी से,..
बहारों के इंतज़ार में कहीं ये न हो ...
इसकी खुशबुएं सिमटी ही रह जायें 
......
क्योंकि बाकी बातें अपनी जगह है...
पर ये  पौधा जब खुल के, लहराकर
खुद की जिंदगी पर इतराता है न....
सच मानो ...
वक्त की ये धूप सजदे में झुक जाती है ..
जिंदादिली की हवाएं तड़प जाती है उसे छूकर गुजरने को 
गुमनामियों की बारिश जड़ों तक जाकर क़दमों पे सर रख देती है...
...
कभी मुस्करा के देखना .,सिर्फ अपने  लिए
बिना किसी शर्त ,बिना किसी वजह के ...
पता चल जायेगा ....
मैं क्यों हमेशा कहता था...
''मुस्कराते रहना''.....||
     -अनजान पथिक

Sunday, July 1, 2012

मेरी ये जिद....

ख्वाब से बुलंदियों तक जो सड़क जाती है न.,,
तुम उसपर मिलना मुझे 
मेरा हौंसला बनकर ...|
प्यार न सही ,...नफरत ही सही 
दिल में कुछ तो रखना ..||
उम्मीद के दीये न जले,
तो धिक्कार के अंधेरो को ही महफ़ूज कर लेना आँखों में 
कम से कम 
कोई न कोई रिश्ता सांस लेता रहेगा  ...
ताकि जब कभी मैं पहुँचूँ ..
बुलंदियों के उस शहर तक  ..
और पलट कर देखूं 
तो वहम ही सही ,पर ये लगता रहे 
कि मेरे इस सफर में तुम मेरे साथ ही थे ....||
 मेरी मोहब्बत आखिर तक जिंदा रही
 मेरा ये गुमान टूटना नहीं चाहिए ||
अगर ये मेरा गुरूर है तो पनपने दो इसे 
जिद है तो जूझने दो मुझे खुद से ही...
मेरी ये जिद ही मेरे वजूद की वजह है ...
खुद को खोकर, खुद को पाने के बीच का सफर है 
चलने दोमुझे, मेरी जिंदगी को , ऐसे ही..||

और हाँ ,किसी की निगाहों में 
गर ये गलत है ..
तो इस बार गलत ही सही...
सब कुछ सही होता रहे तब भी तो , जिंदगी
-- जिंदगी नहीं रह जाती...||
                  -अनजान पथिक