Tuesday, September 18, 2012

‎(राधा )
बिन तोरे नयनन भी कान्हा लगते सीले सीले ,
भीजे जाए तन मन कान्हा ,कजरा गीले गीले ...

तुम संग कान्हा बैठ बताओ कैसे बात करूँ मैं 
बिना सुहागन बने ही कान्हा कैसे मांग भरूँ मैं 
सांझ नहीं ढलती कान्हा बिन तुझको गले लगाये 
रात तड़प मिलने की कान्हा ,तेरे ख्वाब दिखाए 
न कान्हा मैं जाऊं कासी ,न पूजूँ मूरत को 
दिन भर कान्हा भजूँ, मैं तुझ से प्रीतम की सूरत को
फिर भी मेरे पहलू में कान्हा तुम पास नहीं क्यों 
तुझको पाने की कान्हा बुझती है आस मेरी क्यों ..??

(कान्हा)
ओ पगली प्यारी राधा काहे इतना घबराए ,
मैं तुझमें ,तू मुझमें ,अब हम किसको गले लगाये ..
जियरा मोरा भागे मुझसे ,तुझसे जा जुड जाए 
किससे कितना प्यार किसे ,कोई क्या सबूत दिखलाये 
हम तुम इतने पास कि राधा ..इक से लगते दो जन ...
तुम्हरे बिन .सच मैं कहूँ तो राधा ...सूना है वृन्दावन...
तुम बिन बंसी मेरी रूठी ,अधर मेरे ..पथराये ..
जो न तुम ..जीवन में .कौन इन्हें फिर हाथ लगाये.....


तुझ बिन मैं बेमोल हूँ ,मुझको "तू "अनमोल बनाये ..
तेरे हर इक आंसू पे मोसे लाखों "कान्हा" बिक जाएँ .....||
-अनजान पथिक

Sunday, September 9, 2012

कुछ भी बदला नहीं तबसे ...

वक़्त वही ठहरा हुआ हो जैसे अभी तक .....|
कभी कभी 
मोबाइल की नब्ज़ छूकर कोशिश करता हूँ 
कि अभी भी ...
कुछ हो सकता है क्या ..??
कोई पुराना निशाँ रह गया हो शायद ,धोखे से ही सही ,
 जो न मिटा हो,,वक्त की आंधी में  ...||

तभी  इनबॉक्स में छिपा हुआ एक मेसेज खिलखिला  के हँसता है 
 जैसे हो कोई नन्हा शरारती बच्चा ..
जो तंग करने के लिए छिप जाता है कभी कभी 
बेड के नीचे ,दरवाज़े के पीछे ......
और जो  ढूँढ लो उसको ..
तो उसकी मासूमियत पर आ जाती  है मुस्कान खुद ब खुद चेहरे पर ... ..||
                                            
हाँ ,वही इक मेसेज ,जिसमें  लिखा था  तुमने ...
"आज शाम को मिलोगे ..............................,
    ................................... बहुत मन है बात करने का .....||"
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कुछ भी बदला नहीं तब से अब तक...
जो बदला वो बस ये ..तब ये  एक गुज़ारिश थी ..
और अब शायद  एक सवाल ....
बहुत मन है बात करने का ....................................."
"......................................आज शाम को मिलोगे .???
                                                -अनजान पथिक 

ख़ाक का ये जिस्म, ख़ाक में ही जाना है ...
ये इश्क तुमसे, महज़ जीने का बहाना है ....||

ख़्वाबों में आओ ,ज़रा कुछ देर फिर ठहरो 
ये दौर फुरसत का ,कहाँ हर रोज आना है ...||

ये उम्र ही ऐसी है ,कुछ कुछ भूल करने की.
नादानियां तो हर जवान दिल का फ़साना हैं....||

कभी मुस्का के शर्माना ,कभी शर्मा के मुस्काना..
तुम्हें मालूम है ,कितनी तरह से दिल जलाना है ..||

खुदा से बंदगी की रस्म हमने तोड़ दी क्योंकि ...
तुम्हारे नाम का कलमा ,हमें होठों से गाना है ...||

तुम्हारे बिन ये लगता है कि सब कुछ है अधूरा सा 
तुम जो साथ हो ,तो संग में पूरा ज़माना है.....||

"कोई कह दे कि पागल हो ,तो कोई फर्क न पड़ता ...
पर फर्क पड़ता , जब लगे तुमको- "दीवाना है" ||"

"है मरे इश्क का रुतबा,जो तेरी ओर खिंचते हैं ..
वरना हमको भी मालूम है -किस ओर जाना है...||"
-अनजान पथिक

Saturday, September 1, 2012

जिंदगी एक जाम है

जिंदगी एक जाम है ,मुस्कुरा के पीजिए 
वक्त जो सौगात दे ,बाअदब ले लीजिए ...(बाअदब -with respect )

सब अधूरे है यहाँ पर अलग अलग किस्म के 
कुछ किसी से लीजिए ,किसीको कुछ दे दीजिए...

सबके दिल में एक कोना ,जीतने का हो हुनर 
पर आपको जो जीत माने ,दिल उसे ही दीजिए...

हद से गुज़र जाने का जज्बा ,इश्क में रखिये मगर 
खुदी जहाँ खतरे में हो ,सब ताक पे रख दीजिए...(खुदी -self respect )

"जो कभी हासिल हो तुमको ,मांगो कि वो हक हो तेरा "
गर भीख कहकर दे .कोई तो कह दो कि रहने दीजिए...."||
-अनजान पथिक