न वक्त कम था ,न ही हम थे जल्दबाजी में ...
बिन रोके पर ,रुक जाने में ,वो मज़ा भी नहीं ...!!
"इंसान ने मांगी हो पर ,इंसा के लिए न हो ..
गर ऐसी हो असल में फिर ,वो दुआ भी नही ...।।"
आँखों को भाये खूब , दिल पे छाप न छोड़े
इतनी कशिश न हो तो फिर ,वो अदा भी नहीं ..।।.
बस नाम ही लिखकर पते पे भेजा था तेरे ..
थी दिल की बात हमने सो कुछ ,लिखा भी नहीं ...।।
थी दिल की बात हमने सो कुछ ,लिखा भी नहीं ...।।
उस मोड़ पर कुछ रिश्तें अनसुलझे से रखे है ..
जहाँ मैं खड़ा रहा था ,और तू रुका भी नहीं ..
"सब दुनिया में ढूंढे उसे ,वो दिल में बैठा था ,
मूरत का हो मोहताज फिर , वो खुदा भी नहीं "
दे पापियों को मार ,पर रानाई छोड़ दें ..(रानाई =अच्छाई )
गर न चले ऐसी तो फिर ,वो वबा भी नहीं ...(वबा -महामारी )
दिल के बदले दिल , यहाँ बस ये ही रीत है ,
इन इश्क के ज़ख्मों की कोई दवा भी नहीं ....
"सरहदें वो माएं हैं ,जो खुद सिसकती है ..
पर मुद्दतों बेटों ने जिनको सुना भी नहीं "...(मुद्दतों =अरसे से, )
ये वहम है कि मुझको तनहा छोड़ पाओगे ..
दिल में अगर तुम हो तो फिर हम जुदा भी नहीं ...
"दैर -ओ-हरम के दर दीवारें बंद ही कर दो .. (दैर-ओ -हरम =मंदिर और मस्जिद )
इंसानियत से बेहतर मज़हब हुआ भी नहीं ...।।"
-अनजान पथिक
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