Monday, November 18, 2013

कितना अच्छा होता,काश !!

कितना अच्छा होता,काश !!


अपनी जिंदगी की हथेली की ,

किसी घुमावदार सी लकीर में ,

मैं लिख के छिपा देता तुमको - वक्त की मेहँदी से |

ताउम्र तुम रचती जाती मुझमें ||

-अनजान पथिक

 (निखिल श्रीवास्तव)

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