रैना बीती जाये ..
जितना ये सुलगे, उतनी जलूँ मैं
उतनी अगन भड़काए
रैना बीती जाये ...
काटे ये अँखियाँ सोवे ना देंवे,पलकों में तुझको समाये
सपनन में तेरे खोवे ना देंवे,नींद को आग लगाये
जिद करे ,लाचार करे, कोई कैसे इन्हें समझाए ...
रैना बीती जाये..
सेज ये लागे काँटन के जैसी,.दिल में चुभी सी जाये
बाहों के तेरे सिरहाने ओ सजना.नींद मुझे बस आये
रोया करूँ बस रातों में अब तो ,तकिया गले चिपकाये
रैना बीती जाये ..
चंदा को ताकूँ, बातें करूँ ,अब रात को मै तारन से
किस्से सुनाऊं चाँदनी को मै तेरे-मेरे मिलन के ..
आजा तू बस उन किस्सों की खातिर, काहे उन्हें झुठलाये
रैना बीती जाये....
आहट जो हो कोई द्वारे पिया तो लागे जैसे तू आये
झोंके में आके जैसे हवा के बाहों में मुझको समाये
कैसे जिया को मैं ये बताऊँ ,तू तो यूँ बस तडपाये
रैना बीती जाए....
चौखट पे बैठी ताक रही हूँ राह तेरे आने की
विरह सूखे संग गया ,अब बारी सावन आने की
बादल बन अब बरसो पिया ,अधर ये मेरे झुलसाये ..
रैना बीती जाये ..
रैना बीती जाये ....
पिया बिन
रैना बीती जाये ....
पिया बिन
रैना बीती जाये ....
:)....Wow...Dil ko choo jane waali ek aur prastuti..... Ek premika ka apne premi ke liye intzaar aur virah ko bahut khubsurati se chitrit kia hai....100 'Likes' for these emotions....
ReplyDelete@uiawal dhara...thnku so much for such appreciation n motivation ..
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