Sunday, October 9, 2011

एक रात के सूखे पन्नो पर
कोई ख्वाब अनोखा लिख बैठे ....
अन्दर एक मीठा झूठ लिये
हम सच को धोखा लिख बैठे ....

हम लिख बैठे अँधेरे में
तन्हा एक ज्योति दीवाली की..
लिख गए तड़प उस सजनी की
जो पिया से मिलने वाली थी....
बाँहों में एक एहसास लिये
हम नाम किसी का लिख बैठे
दिल को धड़कन की कसमें दे
हम काम किसी का लिख बैठे..||

लिख बैठे चंद लकीरों से
रुसवा एक सच की उम्मीदें
लिख बैठे उनका अक्स लिये
कुछ जागी जागी सी नींदें...
अपने बेबस अल्फाजों से
पैगाम किसी को लिख बैठे ..
उनके लम्हों के सज्दें में
हर शाम उन्ही को लिख बैठे ..||
 

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