अनजान घरों की बस्ती में
दिल अपना ठिकाना ढूँढता है..
एहसास के पीले पन्नो पर
कोई अपना फ़साना ढूँढता है...||
मिल जायें कहीं तो रातें वो,बारिश में भीगी भीगी सी
बाँहों की सौंधी महक और वो यादें सीली सीली सी...
एक प्यार का रस पी लेने को
हर कोई मैखाना ढूँढता है ..
अनजान घरों की बस्ती में
दिल अपना ठिकाना ढूँढता है...||
हर ख्वाब शरारत लगता है ,जब साये से तुम आते हो
दिल के दरवाजे धीरे से दस्तक देकर छिप जाते हो ..
कोई आवारा दरिया जैसे
बस अपना मुहाना ढूँढता है...
अनजान घरों की बस्ती में
दिल अपना ठिकाना ढूँढता है...||
बहुत सुन्दर कविता
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