वक्त का पानी गुज़रता है जब ,
उम्र के किनारों को काटते
हुए
तब कतरा –कतरा ,लम्हा –दर
लम्हा ही सही
ये उम्र बहती जाती है
उस पानी के इशारों पर ,उसी
की धुन में
उसी की लय में .......
ऐसा ही कुछ सफर है हम सबका
.........||
मेरे इसी सफर में याद करो
..
किसी एक मोड पर ,कभी तुम भी
आकर मिले थे मुझसे
एक अनजान दरिया ,एक बेनाम
नदी की तरह
अपनी अलग धुन ,अपनी अलग लय
लिए ...
और तबसे साथ साथ ही बहते
रहे हम दोनों ...
हमारे किस्से ,हमारे लम्हे
,हमारे फ़साने
एहसास दर एहसास एक दूसरे
में सिमटते हुए..
एक दूजे को समझते हुए ....
पर अब लगता है जैसे ये साथ
शायद और नहीं ,,
इस मोड से चुननी होंगी हमें
अपनी अपनी दिशाएं ,अपनी अपनी राहें
इसलिए चाहकर भी रोकूँगा
नहीं तुम्हें ...
बस एक वादा लूँगा ,
और एक वादा निभाऊंगा ..
और एक वादा निभाऊंगा ..
कि हम कितना भी दूर निकलें
,कितना भी अलग चलें..
मेरे संग बीता हुआ ये सफर
,ये सारे पल ..
तुम भूलोगे नहीं ..
वादा करता हूँ ,,
वक्त को लांघकर एक न एक दिन मिलने आऊंगा तुमसे ....
इंतज़ार करना
.....!!!!!!!!!!!वक्त को लांघकर एक न एक दिन मिलने आऊंगा तुमसे ....
I have the original of it
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