Sunday, June 24, 2012


आसमान के आगे भी दुनिया तो होती होगी
ये ज़मीन भी माँ बताओ न ,कभी तो रोती होगी ..!!!
सूरज को स्कूल बताओ ,कौन छोड़ने जाता .???
चंदा रात से 'tution ' पढ़ने रोज चला क्यों आता ..??
पेड़ों को ये हरी हरी सी ड्रेस है कौन सिलाता ,
नन्हे नन्हे तारों को जूते है कौन पहनाता ..??
ये शाम सुबह दोनों घर पर एक साथ क्यों नहीं आते ..??
हम पहले बूढ़े ,बाद में क्यों न बच्चे फिर बन जाते ..??
फलक के छज्जे पे बादल के कपडे किसने डाले ..??
और इनको निचोड़ इनसे फिर बारिश कौन निकाले..!!
हवा को बिन पंखों के माँ उड़ना है कौन सिखाता ..!!
सूरज को क्यों कभी भी माँ ,बुखार नहीं है आता ..
अखबार को सारी खबरें जाकर रोज है कौन सुनाता ...??
फूलों के डिब्बों के अंदर खुशबू के biscuit कौन छिपाता..??
काँटों का इतना मूड खराब माँ कौन किया करता है..
आसमान इतना लंबा तो क्या 'complan' पिया करता है ...
नदियाँ माँ बचपन में पोलियो ड्रॉप नहीं है पीती ...
इतनी टेढ़ी मेढ़ी होकर भी फिर कैसे है वो जीती...
माँ पेट बड़ा सिर से मेरा ,फिर दिमाग नहीं क्यों इसमें..
दिमाग ये कैसा fridge है ,यादें कभी न सड़ती जिसमें....
आसमान के कनवास पर ये पेंटिंग कौन है करता ..
पेड़ों की गुल्लक में ,पत्तों के सिक्के कौन है भरता .....
वक्त के लम्हे सारे क्यूँ आपस में खुद से भागे ..
एक जो रहता पीछे तो दूजा क्यों निकले आगे .....

धुप छाँव के जैसे माँ यारी है कैसे होती....??
कितना अच्छा होता जो ,दुनिया एक गाडी होती...
हम तुम रोज़ बैठ माँ उसपर दूर दूर तक जाते
ऐसे कितने ही सवाल के पेड़ हम रोज़ उगाते ......
फिर जब थक जाता मैं तो गोद में तेरे आता ...
फिर तू लोरी गाती माँ ,और फिर से मैं सो जाता...........||
 

3 comments:

  1. ऐसे कितने ही सवाल के पेड़ हम रोज़ उगाते ......
    उत्तर देने को फिर इक दिन भगवान् उतर कर आते
    :-)

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