शिव भी ज्वाला बनकर फूटें,
हो भाग्यविधाता की इच्छा
तो भाग्य मेरा मुझसे रूठे
फिर भी अपनी मैं राह पकड़, मंजिल पाकर दिखलाऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई ,पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
ख्वाहिश सारी दम तोड़ेंगी
मंजिल सारी मुँह मोड़ेंगी
हर एक पल बीतेगा गुमसुम
नाकामी नाता जोड़ेगी|
पर उन नातों की नींव पे ही, मैं अपना भवन बनाऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई, पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
आँखों से सपने छूटेंगे
रिश्ते अपनों से टूटेंगे
ये दिल धड़का जिनकी खातिर
वो ही धड़कन से रूठेंगे |
फिर भी घुटने ना टेकूँगा, धड़कन बिन जीता जाऊँगा
होगा देवों का साज़ कोई पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
लफ़्ज़ों में होगी ख़ामोशी
जिद पर छाएगी बेहोशी
टुकड़ा-टुकड़ा हो जाएगी
मेरी चाहत की मदहोशी|
फिर भी उस मदहोशी में भी, तेरा हर सच झुठलाऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
हर एक ज़र्रा दुत्कारेगा
खुद दिल अपना अपकारेगा
जो कल तक था गहना मेरा
वो 'मैं ' मुझको ही मारेगा|
फिर भी उस 'मैं' की ही खातिर दुनिया से भी लड़ जाऊँगा
होगा देवों का साज़ कोई पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
कब तक मुझको यूँ तोड़ोगे
कब तक मुझसे मुँह मोड़ोगे
मै तुमको खुद से जोड़ चुका
कब खुद को मुझसे जोड़ोगे |
दे देना लाखो चोट मुझे ,एक ज़ख्म नहीं सहलाऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई पर गीत मैं अपना गाऊंगा...
तू कहता था तू मुझमे है
तो फिर ये फर्क क्यों इतना है ?
जब रोता हूँ इन आँखों से
तू खुश होता क्यों इतना है ?
मै भी तो अंश ही हूँ तेरा, कब तक खुद से टकराऊंगा
होगा मेरा ही साज़ वही, जिस पर मैं गीत सुनाऊंगा ||
होगा मेरा ही साज़ वही, जिस पर मैं गीत सुनाऊंगा ||
पर मुझको तुझसे बैर नहीं
तेरी जिद की मुझको खैर नहीं ,
तू माने ना माने मुझको
पर मुझसे तू कोई गैर नही....
बस अपनी इस जिद की खातिर ,तेरी हर जिद ठुकराऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई ,पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
पर मुझसे तू कोई गैर नही....
बस अपनी इस जिद की खातिर ,तेरी हर जिद ठुकराऊंगा
होगा देवों का साज़ कोई ,पर गीत मैं अपना गाऊंगा ||
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