Tuesday, April 3, 2012

हाथ के पिंजड़े में 
कैद कर रखी है किसीने 
तकदीर सबकी ..||
एक शिकारी है 
जो जानता है सबकी कमजोरियां 
जो जानता है
कैसे मजबूर करना है किसको ..??
लकीरों की बेड़ियों से बाँध रखता है वो 
तडपती ,मचलती उन तकदीरों को 
जिन्होंने ख्वाब देखा था कभी 
आज़ाद हवा को चूमकर,
हर् फिजा में अपनी कामयाबी की खुशबू घोलने का ||

आज याद आया ...
मैं इस तकदीर को ही आज़ाद कराने आया था 
ज़मीं पे ...
यही तो मकसद था मेरा 
वरना तो,
सुकूं 
जन्नत में भी कम नहीं ...||

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