Sunday, September 9, 2012

कुछ भी बदला नहीं तबसे ...

वक़्त वही ठहरा हुआ हो जैसे अभी तक .....|
कभी कभी 
मोबाइल की नब्ज़ छूकर कोशिश करता हूँ 
कि अभी भी ...
कुछ हो सकता है क्या ..??
कोई पुराना निशाँ रह गया हो शायद ,धोखे से ही सही ,
 जो न मिटा हो,,वक्त की आंधी में  ...||

तभी  इनबॉक्स में छिपा हुआ एक मेसेज खिलखिला  के हँसता है 
 जैसे हो कोई नन्हा शरारती बच्चा ..
जो तंग करने के लिए छिप जाता है कभी कभी 
बेड के नीचे ,दरवाज़े के पीछे ......
और जो  ढूँढ लो उसको ..
तो उसकी मासूमियत पर आ जाती  है मुस्कान खुद ब खुद चेहरे पर ... ..||
                                            
हाँ ,वही इक मेसेज ,जिसमें  लिखा था  तुमने ...
"आज शाम को मिलोगे ..............................,
    ................................... बहुत मन है बात करने का .....||"
*************************
कुछ भी बदला नहीं तब से अब तक...
जो बदला वो बस ये ..तब ये  एक गुज़ारिश थी ..
और अब शायद  एक सवाल ....
बहुत मन है बात करने का ....................................."
"......................................आज शाम को मिलोगे .???
                                                -अनजान पथिक 

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