Sunday, February 10, 2013

वो अक्सर पूँछा करती है ..


वो अक्सर पूँछा करती है ..
"क्यों करते हो इतना प्यार ..??"
क्यों लिखते रहते हो ..
दिल के कोरे कोरे कागज़ पर ,
धडकनों की स्याही से मेरे नाम की पहेलियाँ ..??
क्यों बिखर जाते हो हर बार
एक आवारा टूटे पत्ते की तरह..
मेरे ख्यालों की आँधियों में ..??
क्यों अपनी हर सांस जलाकर कोशिश करते रहते हो 
मेरे एहसास की उस इक लौ को जिंदा रखने की ,
जिसे तुम्हारे दिल के मंदिर में जलाकर छोड़ आई थी मैं ....??
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दर्द नहीं होता ..??
उम्मीद खत्म नहीं होती ..??


क्या करूँ ,
उसकी मासूमियत उसकी आदत  है  
और मेरी मोहब्बत ,मेरी  हकीकत  ....
दोनों में से एक का भी मिटना 
इश्क की रूह से बेईमानी है ....
इसलिए उसके इन सारे सवालों के जवाब नहीं देता मैं .
हाँ, ये ज़रूर पूँछ देता हूँ,हर बार  -

"कि मोहब्बत करता हूँ तुमसे  .......!!!!!,
हक समझने की इससे भी खूबसूरत वजह 
कोई और हो सकती है क्या ..?? "

                                                 -अनजान पथिक 
                                                  (निखिल श्रीवास्तव )

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