Sunday, July 1, 2012

मेरी ये जिद....

ख्वाब से बुलंदियों तक जो सड़क जाती है न.,,
तुम उसपर मिलना मुझे 
मेरा हौंसला बनकर ...|
प्यार न सही ,...नफरत ही सही 
दिल में कुछ तो रखना ..||
उम्मीद के दीये न जले,
तो धिक्कार के अंधेरो को ही महफ़ूज कर लेना आँखों में 
कम से कम 
कोई न कोई रिश्ता सांस लेता रहेगा  ...
ताकि जब कभी मैं पहुँचूँ ..
बुलंदियों के उस शहर तक  ..
और पलट कर देखूं 
तो वहम ही सही ,पर ये लगता रहे 
कि मेरे इस सफर में तुम मेरे साथ ही थे ....||
 मेरी मोहब्बत आखिर तक जिंदा रही
 मेरा ये गुमान टूटना नहीं चाहिए ||
अगर ये मेरा गुरूर है तो पनपने दो इसे 
जिद है तो जूझने दो मुझे खुद से ही...
मेरी ये जिद ही मेरे वजूद की वजह है ...
खुद को खोकर, खुद को पाने के बीच का सफर है 
चलने दोमुझे, मेरी जिंदगी को , ऐसे ही..||

और हाँ ,किसी की निगाहों में 
गर ये गलत है ..
तो इस बार गलत ही सही...
सब कुछ सही होता रहे तब भी तो , जिंदगी
-- जिंदगी नहीं रह जाती...||
                  -अनजान पथिक 


1 comment:

  1. सब कुछ सही होता रहे तब भी तो , जिंदगी
    -- जिंदगी नहीं रह जाती...||

    baat to sahi hi keh gaye tum galti se ;-)

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