अदाओं की ये दौलतें , पास ही रख लीजिए
नुमाइश के बाजारों में दिल ,यूं ही नहीं बेचे जाते .............
यादें,लम्हें,रिश्तें ,खुशियाँ ये सब संजोनी चाहिए
महबूबा-ए-वक्त के ये खत , यूं ही नहीं फेंके जाते ,,,
हो खुद का हुस्न देखना , तो मेरी नज़र रख लीजिये
इन आइनों के दलालों से सच ,यूँ ही नहीं देखे जाते ..
खुदा महज़ कहना नहीं ,मानना भी पड़ता है
इश्क के मज़हब में ये सिर ,यूँ ही नहीं टेके जाते ...
मेरे इकरार को मजबूरियाँ समझे जो मेरा यार गर
कह दो उसे कि चाँद पर पत्थर नहीं फेंके जाते ...
दिल से जुड़ने वालों से बस इक हुनर सीखा करो
नज़रें समझी जाती है ,चेहरे नहीं देखे जाते ....
ये हिन्दू मुस्लिम सिख का चर्चा अब ज़रा ठंडा करो
खुद्गर्ज़ियों की आँच पर ,मसले (समस्याएं )नहीं सेंके जाते ...
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