अनजान पथिक
दरिया सी ज़िन्दगी पे सदके हज़ार जानें , मुझको नहीं गँवारा साहिल की मौत मरना ||
Friday, November 4, 2011
होठों पे शरारत रखते है...
पलकों पे क़यामत रखते है..
उनसे पूछो वो जुल्फों में
क्यों दिन की जमानत रखते हैं...
...
आँखों से अदा छलका देना
आसान तो नही होता इतना
कैसे वो बिना पैमानों के
ये जाम पुराने रखते है
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