Saturday, December 17, 2011

एक जिद तो है..



खोया है ,तो क्या,?? पाने की एक जिद तो है..
हर रात को सुबह बनाने की एक  जिद तो है...
पंखो का बहाना,कोई और किया करते है...
फलक छूने के लिये काफी बस एक जिद तो है.....||

खुद को क्यों बदल डाले ,तुमको नही समझ तो

इंसान अगर हम है तो तुम भी इंसान बस एक महज हो...
अंदाज़ और अदा सब इक से नही तो क्या गम
कुछ अपना हो ,अपना महज, ऐसी भी एक जिद तो है...||

वो दरिया भी क्या दरिया, जो बारिश से झोली भर ले..

वो आग क्या ,सूरज से डर जो आँच धीमी कर लें...
वक़्त की इस राह में .है बस फूल हर तरफ नही..
तो ठहरे क्यों,है काँटे तो,दूर जाने की भी एक जिद तो है...||

दुआ में बस खुदा से सब माँगे भला कब तक यूँ ही

हाथों में जो खिचा है,सच माने उसे कब  तक यूँ ही ... ....
वहम में हो गर सोचते हो कि तोड़ने से बिखर जाएँगे ....
हमें भी हर टुकड़े को जिद्दी बनाने की एक जिद तो है... ....||

1 comment:

  1. वाह रे आपकी जिद और वाह रे आपका जिद करने का तरीका
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