हवाओं से कह दो कि उनको जिद है तो रुख बदल लें
टूटने के दर से पत्ते शाख नहीं बदला करते ||
है बादलों को शौक तो बरसे या फिर ना बरसे
मैखाने के पुजारी अपनी प्यास नहीं बदला करते ||
कोई कितना भी लाख चाहे कि घोट दे हसरत का गला
हकीकत की बदरंगी से ,रंगीन ख्वाब नहीं बदला करते ||
लोग सवाल करते है, कई तरीके से कई बार यहाँ
जब कहने का मन ही नहीं ,तो जवाब नहीं बदला करते ||
पागल और दीवानों से चिढ भी जाते है लोग यहाँ ..
पर अंजामो के डर से ,वो अंदाज़ नहीं बदला करते ||
बाहों में तुम खुद ही भर लो ,या फिर मै ही कोशिश कर लूँ
शुरुआत बदल जाने से मगर , एहसास नहीं बदला करते ||
ख़ामोशी की तो बात ही कब करते है ,कहने वाले सब
वादे टूटेंगे इस डर से अलफ़ाज़ नहीं बदला करते||
खुद जो हो वो ही हो तुम, चाहे जितना श्रृंगार रचो
आइना देख इतराने से इंसान नहीं बदला करते||
पहचान भी नहीं याद जिन्हें , उनसे भी कोई क्या बोले
ओये अबे कह देने से बस, नाम नहीं बदला करते ||
मंजिल खो भी जाये अगर ,चलते रहना चलने वालो
जो राहों के दीवाने है ,वो राह नहीं बदला करते ||
हर बार कहीं एक पन्ने पे लिखते है हम भी क्या क्या तो..
बस लफ्ज़ अलग हो जाने से,पैगाम नहीं बदला करते ||
होठों पे भी ठहरे रहते है ,हम भी बन एक एहसास कोई
आप इतराओ ,या मुस्काओ हम काम नहीं बदला करते ||
टूटने के दर से पत्ते शाख नहीं बदला करते ||
है बादलों को शौक तो बरसे या फिर ना बरसे
मैखाने के पुजारी अपनी प्यास नहीं बदला करते ||
कोई कितना भी लाख चाहे कि घोट दे हसरत का गला
हकीकत की बदरंगी से ,रंगीन ख्वाब नहीं बदला करते ||
लोग सवाल करते है, कई तरीके से कई बार यहाँ
जब कहने का मन ही नहीं ,तो जवाब नहीं बदला करते ||
पागल और दीवानों से चिढ भी जाते है लोग यहाँ ..
पर अंजामो के डर से ,वो अंदाज़ नहीं बदला करते ||
बाहों में तुम खुद ही भर लो ,या फिर मै ही कोशिश कर लूँ
शुरुआत बदल जाने से मगर , एहसास नहीं बदला करते ||
ख़ामोशी की तो बात ही कब करते है ,कहने वाले सब
वादे टूटेंगे इस डर से अलफ़ाज़ नहीं बदला करते||
खुद जो हो वो ही हो तुम, चाहे जितना श्रृंगार रचो
आइना देख इतराने से इंसान नहीं बदला करते||
पहचान भी नहीं याद जिन्हें , उनसे भी कोई क्या बोले
ओये अबे कह देने से बस, नाम नहीं बदला करते ||
मंजिल खो भी जाये अगर ,चलते रहना चलने वालो
जो राहों के दीवाने है ,वो राह नहीं बदला करते ||
हर बार कहीं एक पन्ने पे लिखते है हम भी क्या क्या तो..
बस लफ्ज़ अलग हो जाने से,पैगाम नहीं बदला करते ||
होठों पे भी ठहरे रहते है ,हम भी बन एक एहसास कोई
आप इतराओ ,या मुस्काओ हम काम नहीं बदला करते ||
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