सुनो ...
एक बात कहूं मैं !!...
ये जो एक लम्बी सी चादर है ना ...
फासले की ...
मेरे दिल से तेरे दिल तक
..आओ इसे ..समेट ले ..थोड़े वक़्त की खातिर
एक सिरे से तुम पकड़ो
एक सिरे मैं हाथ लगाऊं .....||
फिर जब ...वक्त दोबारा करने लगे शिकायत ..
फिर से..इसे तान देंगे...||
फिर से उतनी दूर चले जायेंगे ....
जैसे...
एक दूजे के कभी ना थे....
"ये तो हम पहले भी करते आये है ना .."||
बोलो ,,,,क्या दिक्कत है...??
"और वैसे भी हम अलग कहाँ हो पाते ही हैं....!!!!"
-अनजान पथिक ......
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