-वो बड़ा अजीब सा पागल था ---
वो कहता रहता था सबसे ....
"वक्त को वक्त देना सीखो ....."
दिल तो रखो मोम सा ....पर .उसूलों में सख्त रहना सीखो ...
वो अँधेरे में जलते जुगनू को
सूरज करने के ख्वाब दिखाता था ...
वो आँखों को चुपचाप नज़ारे पीने का हुनर सिखाता था ..
-वो महकती गज़ल था खुद में
फूलों से बातें करता ..,
धूप पे किस्से लिखता रहता था ....
वो गलियों गलियों घूम चांदनी जेब में भरता रहता था .....
-बहुत बेख़ौफ़ मुसाफिर था -...
राहों से यारी करता था ...
और मंजिल से कह देता था ...
"मुझको तेरी परवाह नहीं.."
है दिल के रास्ते सब जायज़ .... न मिली वाह तो आह सही ......
- बहुत सिरफिरा दीवाना था -
सबको बोला करता था
इश्क किया नहीं ,निभाया जाता है ...
इश्क में सोचे ,समझे ,परखे जाने से पहले अपनाया जाता है ...
बड़ा अजीब सा शख्स था वो ..
शख्स नहीं ,ख्याल था शायद ..
या फिर रूह की परत था इक ...
या कोई खुदा का टुकड़ा शायद मुझमें धंसा रहा होगा ...
जो भी था ...
-----------------------------------------------------------
मेरे अंदर मेरा- ऐसा एक दोस्त हुआ करता था ....
जो अरसे से मुझसे मिला नहीं ..
मैं सोचता हूँ -
रूठा तो नहीं .... ?????
-अनजान पथिक
(निखिल श्रीवास्तव )
वो कहता रहता था सबसे ....
"वक्त को वक्त देना सीखो ....."
दिल तो रखो मोम सा ....पर .उसूलों में सख्त रहना सीखो ...
वो अँधेरे में जलते जुगनू को
सूरज करने के ख्वाब दिखाता था ...
वो आँखों को चुपचाप नज़ारे पीने का हुनर सिखाता था ..
-वो महकती गज़ल था खुद में
फूलों से बातें करता ..,
धूप पे किस्से लिखता रहता था ....
वो गलियों गलियों घूम चांदनी जेब में भरता रहता था .....
-बहुत बेख़ौफ़ मुसाफिर था -...
राहों से यारी करता था ...
और मंजिल से कह देता था ...
"मुझको तेरी परवाह नहीं.."
है दिल के रास्ते सब जायज़ .... न मिली वाह तो आह सही ......
- बहुत सिरफिरा दीवाना था -
सबको बोला करता था
इश्क किया नहीं ,निभाया जाता है ...
इश्क में सोचे ,समझे ,परखे जाने से पहले अपनाया जाता है ...
बड़ा अजीब सा शख्स था वो ..
शख्स नहीं ,ख्याल था शायद ..
या फिर रूह की परत था इक ...
या कोई खुदा का टुकड़ा शायद मुझमें धंसा रहा होगा ...
जो भी था ...
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मेरे अंदर मेरा- ऐसा एक दोस्त हुआ करता था ....
जो अरसे से मुझसे मिला नहीं ..
मैं सोचता हूँ -
रूठा तो नहीं .... ?????
-अनजान पथिक
(निखिल श्रीवास्तव )
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