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काश बस एक किताब होती....
जिसके हर सफहे पर लिखा होता तेरा नाम .....(सफहे= पन्ने )
सांसें...
काश बस एक शराब होती..
जिसके हर घूँट में तुमको पीता सुबह शाम...
धूप..
काश बस होती चिट्ठियाँ...
जो हर सुबह लाती तेरा एक पयाम...
दिल..
काश बस होता एक दरिया...
काश बस होता एक दरिया...
जिसमे मीलों बहा करता तेरा नाम....
और...
मैं...
मैं काश होता सुरीला एक सजदा...
जो होता मुकम्मल तुझे कर सलाम ....|| (मुकम्मल =पूरा )
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सच में-.
" इश्क, भले हो कितना भी आवारा,
ख्वाहिशों को मीठा तो कर ही देता है ..!!!!!"
-अनजान पथिक
(निखिल श्रीवास्तव )
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