आज जो बादल बरसा फिर से
आँख मेरी भर आई है
इस मिलने के मौसम में फिर
जाने कैसी तन्हाई है???
छम -छम बादल बरस रहा
और पल पल मन ये तरस रहा
तेरा जो भी ख्वाब था देखा
सच होने को तड़प रहा
ख़ुशी मिली उन ख्वाबों में जो
फिर पानी बन झर आई है|
आज जो ------
निकल पड़ा उन राहों पे फिर ,
कभी जिसपर तुमने साथ दिया|
जब गिरकर चूमा धरती को
उठने को अपना हाथ दिया|
ना साथ रहा, ना हाथ रहा
बस याद तेरी रह पाई है|
आज जो----------------
है याद वो पलकें फेर
तेरा गिरती बूंदों में शर्माना |
है याद वो तेरा झूम -झूम
नटखट बालक सा इठलाना |
है याद वो हाथों को फैला
झरती बारिश में रम जाना |
और याद है उनका अगले पल
छाता बन सिर पे थम जाना|
हर वो तेरी याद अदा बन
दिल में फिर से गहराई है
आज जो ---------------
संग -संग यूँ सब घूम रहे
मस्ती के रंग में झूम रहे|
कभी पलकों को कभी हाथों को
कभी माथे को ही चूम रहे|
अपनी भी ऐसी मस्ती कुछ
आँसू बनकर मुस्काई है|
आज जो बादल बरसा फिर से
आँख मेरी भर आई है|
इस मिलने के मौसम में फिर
जाने कैसी तन्हाई है !!!!!!!!!!!!!!!!!!
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Thanks for share thought of Human
ReplyDeleteMahaluxmi Green Mansion