Saturday, February 19, 2011

शौक- ए- दीदार


 "
शौक-ए-दीदार है अगर
                                तो नज़र पैदा कर  .|"
                            
                           ये पंक्तियाँ  मैंने अपनी  नवी  कक्षा  में  पढ़ी  थी  |उस  समय अनुभव  थोडा कम  था ,तो  अर्थ ज्यादा  नहीं  समझ  आया ,लेकिन  पाठ्यक्रम  की  बाकी  चीज़ों  की  तरह  इसे  भविष्य  के  लिए  टालना अच्छा  नहीं लगा |कारण- साधारण होते हुए भी ये शब्द अपने अन्दर  छिपे किसी गूढ़ सत्य का मूक व्याख्यान करते हुए लगते|छटपटाहट  बहुत  हुई,कोशिश  भी  बहुत  की ,पर  मन  को  संतुष्ट  करने  लायक  कोई  उत्तर  ना  मिला  ....
                          अभी   कुछ  दिनों  पहले  ही  अपने लैपटॉप  पर  कुछ  वीडियो  देख  रहा  था |पता  नहीं  मै  ज्यादा हताश  था ,या  फिर  वो  विडियो ज्यादा  प्रेरणादायी ..पर कुल मिलाकर लग रहा था कि मै कुछ ऐसा देख रहा हूँ जो कम से कम समय का सदुपयोग तो कहा ही जा सकता है |बमुश्किल ३-४ मिनट की ही विडियो रही होगी , लेकिन उसमें  जो दिखाया गया वो मैं समझता हूँ कि हम सबको जानना चाहिए|यद्यपि वो सब कुछ हम सबको पता ही होगा पर यहाँ उसका जिक्र करने का उद्देश्य कुछ और है| 

  •  -एडिसन को बल्ब के लिए अपने प्रयोगों में १००० से ज्यादा बार असफलता मिली ,पर उसके बावजूद उसने 'आविष्कार ' किया 'विद्युत् बल्ब 'का |
  • -'माइकल जोर्डन' जिसे अपनी दसवी में अपनी स्कूल कि बास्केटबाल टीम से निकाल दिया गया था ,वो आज दुनिया का सबसे बेहतरीन बास्केटबाल खिलाडी बना |
  • -'वाल्ट डिज्नी ' को एक अखबार ने इसलिए निकाल दिया ,क्योंकि उनके अनुसार उनमें कल्पना कि कही कुछ कमी थी |...........
और इसी तरह से कई लोगों के बारे में कुछ प्रेरक बताया गया था...
विडियो ख़त्म  हुआ नहीं ,कि मैं ख़ुशी से झूम उठा ,क्योंकि मुझको मेरी छटपटाहट शांत होती दिखने लगी थी |फिर  एहसास हुआ कि क्या मतलब था असली में उन पंक्तियों का !!!!!
हम सपने बहुत कुछ देखते है ,बहुत जल्दी  ये समझ लेते है कि इससे फलां व्यक्ति को प्रसिद्धि मिली तो हमे भी मिल जाएगी |कुछ दिन उसके लिए जूझते है |अपना सब कुछ लुटा देने का नाटक करते हैं और आखिरकार जब कुछ नहीं मिलता तो मन हारकर रह जाते है |लेकिन उस वक़्त समझ में आया कि 'शौक-ए -दीदार' क्या है और उसके लिए  'नज़र ' कैसे पैदा कि जाए ??  
जिंदगी में हम जो कुछ भी पाना चाहते है ,पैसा ,रुतबा ,प्यार,खुदा ..........कुछ भी, वो सब कुछ 'शौक-ए-दीदार'-और इसे तय करने में ज्यादा वक़्त भी नहीं लगता है क्योंकि शौक का क्या है कोई भी पाल लो ....लेकिन अगर उस शौक को पूरा करना है तो फिर वैसी  नज़र पैदा करनी   होगी|'नज़र ' जो शायद सब लोग नहीं समझ  पाते ,और इसलिए  अरबों  लोगों की इस   दुनिया में  कुछ ही चुनिन्दा  लोग उँगलियों  पर गिने  जाते हैं...|ये सब लोग  महान  इसलिए ही बने  क्योंकि इन्होने  जो करना चाहा  खाली  उसीको  देखने  के लिए अपनी नज़रों  को तैयार  किया..|उसीको  पाने  के सारे  रास्ते  चुने|इसलिए अब कुछ भी पाना हो तो बस एक ही मंत्र जान लीजिये ---

" शौक-ए-दीदार है अगर
                                तो नज़र पैदा कर  .|"
                            
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