Friday, January 6, 2012

एक मौसम कि इस करवट से आया आँखों में पानी है
ये आँखों की सावन की रुत ,हर रोज़ ना आनी-जानी है
सच मानो मै हर धड़कन को ये ही समझाया करता हूँ..
तेरे बिन यूँ चलते रहना,दिल से मेरे बेईमानी हैं...||

ये आँखों से गिरते मोती ,खोकर भी क्या पाउँगा मैं..
सोऊंगा,ख्वाब बुनूँगा तो,जागूँ तो पछताऊंगा मै...
ये मत सोचो आना जाना, आता तुमको बस ख्वाबों में
वादा है कि एक दिन तेरी ,भी नींदों में आऊंगा मैं...||

एक बात तुम्हे लो कहता हूँ,माना ये एक नादानी है
हर साँस ,नसें,सिहरन सारी,तेरी ही अब दीवानी हैं..
तुम मानो या फिर ना मानो ,मै तो ये बातें समझ गया,,
खुदको खोकर तुमको पाना, इतनी बस मेरी कहानी है..||

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