हर अश्क पे मैं, मैखाने के जाम नहीं लिखता
हर दर्द यूं बेचने से , सरे-आम नहीं बिकता ...
अदाएँ बख्शी जाती है कुछ चुनिन्दा नज़रों को
बेबाक आँखों में ये जेवर का काम नहीं टिकता
दिल पे लिखी जाती है मोहब्बत की सब इबारतें
हथेलियाँ कुरेदने से उनपे कोई नाम नहीं दिखता
हर दर्द यूं बेचने से , सरे-आम नहीं बिकता ...
अदाएँ बख्शी जाती है कुछ चुनिन्दा नज़रों को
बेबाक आँखों में ये जेवर का काम नहीं टिकता
दिल पे लिखी जाती है मोहब्बत की सब इबारतें
हथेलियाँ कुरेदने से उनपे कोई नाम नहीं दिखता
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