दर्द उतना कहो जितना महसूस हो ,
शाख लचकेगी ज्यादा ,तो टूट जायेगी
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दिल को उतना ही जोड़ो कि गाँठ न पड़े
उलझनें होंगी बेबाक तो डोर टूट जायेगी..
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अपनी आदतों, अदाओं पर गुमान न करो
वक्त लंबा सफर है सब छूट जायेंगी ....
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कांच की बोतलें है सब चाहतें यहाँ ..
नशा उतरे तो फिर ये भी फूट जायेंगी
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मैं जिंदा हूँ क्योंकि मुझसे खुश है दुनिया
चल दूंगा जिस भी दिन ये रूठ जायेगी
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मुझे सफर का शौक था इसलिए लुटा हूँ मैं
मालूम था की राहें मुझको लूट जायेंगी ..
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आँधियों से लड़ने का सलीका सीख लेते
जो गर जानते कि हिम्मत टूट जायेगी
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सारा वक्त बीतता था बस हँसते हँसाते
क्या पता था ये आदत भी छूट जायेगी...
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