दरिया सी ज़िन्दगी पे सदके हज़ार जानें ,
मुझको नहीं गँवारा साहिल की मौत मरना ||
Sunday, February 26, 2012
मेरी अपनी मोहब्बत का कभी अंजाम होने दो ये किस्सा आम होने दो ,मुझे बदनाम होने दो है ये वादा कि अपनी हर सुबह को छोड़ दूंगा मैं कभी तो अपनी बाहों में मेरी इक शाम होने दो ...
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