यहाँ सब कुछ है तुम सा ही...........
यहाँ हर शय में ,हर एक कोनें में ,
तुम सा ही है कोई ..
जो अपना सा लगता है ....||
यहाँ पर है हवाओं में ,तुम सा ही कोई नशा ...
मैं जितनी सांस लेता हूँ.,
उतना पा जाता हूँ तुम्हें ..
यहाँ की हर ज़मीन पर ..,
तुम्हारे क़दमों की आहट है सोती
जो मेरे हर सफर में मेरी हमसफ़र है होती ....
यहाँ हर पेड़ की ठण्डी घनी सी छाँव हो तुम..
पगडंडियों पे सर रखकर सोता गाँव हो तुम...
यहाँ पर हर तरफ ,हर ओर ...
हर नज़ारे में हो तुम बसी...
यहाँ पत्तियों की सरसराहट भी लगे तेरी हँसी
यहाँ का हर फूल तुम्हारी अदा से
तुम्हारी रज़ा से ही है खिले ..
यहाँ के चाँद तारों को भी रौशनी तुम्ही से ही मिले
यहाँ के पंछियों में भी तुम सी ही है शोखियाँ
जो पिंजरों में ,या जंजीरों में कैद नहीं होती ...
यहाँ की नदियाँ भी तेरी पायल की छमक सुन कर बहा करती है
यहाँ के बादलों में दिखती है वो मुस्कानें
जो तुम्हारे होठों के घरों में सदा रहा करती हैं ....
यहाँ के आसमान तेरी आँखों के रंग का ही लिबास पहनते हैं ...||
यहाँ पर तितलियों का साज़ हो तुम.....
गिरते झरने की आवाज़ हो तुम..
एक बंसी की धुन हो जो फिजाओं में है बहती ..
या डालियों पे सजी इक बहार हो तुम..
यहाँ सब कुछ तुम्ही सा है..
यहाँ हर पिघलते लम्हे में
हर इठलाती कली में
मिटटी की हर खुशबू में
तुम ही तुम हो
सिर्फ तुम ही तुम हो
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ये मेरे ख़्वाबों की दुनिया है
जहाँ हो साथ तुम मेरे....
वो इक जगह जहाँ मेरा इकरार ज़िंदा है..
मेरा ऐतबार ज़िंदा है...(ऐतबार =भरोसा )
हमारा प्यार ज़िंदा है...
हमारा प्यार ज़िंदा हैं..||
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